अथर्ववेद (कांड 19)
वर्ये॒ वन्दे॒ सुभ॑गे॒ सुजा॑त॒ आज॑ग॒न्रात्रि॑ सु॒मना॑ इ॒ह स्या॑म् । अ॒स्मांस्त्रा॑यस्व॒ नर्या॑णि जा॒ता अथो॒ यानि॒ गव्या॑नि पु॒ष्ठ्या ॥ (३)
हे न रुकने वाले प्रभाव वाली, सभी के द्वारा स्तुति की गई, सौभाग्य वाली तथा भलीभांति उत्पन्न रात्रि! तुम आ गई हो. तुम्हारे आने पर मैं सुंदर मन वाला बनूं. मेरा पालन करो तथा उत्पन्न वस्तुओं को, मनुष्यों की हितकारी वस्तुओं को तथा पुष्ट करने वाली गाय आदि जो हितकारी वस्तुएं हैं, उन की रक्षा करो. (३)
O night of unspeakable influence, praised by all, blessed and well-generated! You have arrived. When you come, I will be beautiful-minded. Obey Me and protect the goods produced, the things that are beneficial to human beings and the beneficial things that strengthen the cow, etc. (3)