अथर्ववेद (कांड 2)
बल॑मसि॒ बलं॑ दाः॒ स्वाहा॑ ॥ (३)
हे अग्नि! तुम बल हो, इसीलिए मुझे बल प्रदान करो. यह हवि भलीभांति हवन किया हुआ हो. (३)
O agni! You are a force, that's why give me strength. This havi is well done havan. (3)
कांड 2 → सूक्त 17 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation