हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 2.21.3

कांड 2 → सूक्त 21 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 2)

अथर्ववेद: | सूक्त: 21
सूर्य॒ यत्ते॒ ऽर्चिस्तेन॒ तं प्रत्य॑र्च॒ यो॑३ ऽस्मान्द्वेष्टि॒ यं व॒यं द्वि॒ष्मः ॥ (३)
हे सूर्य देव! तुम्हारी जो दीप्ति है, उस से उन्हें जलाओ जो हम से द्वेष करते हैं अथवा हम जिन से द्वेष करते हैं. (३)
O Sun God! Burn those who hate us or those we hate with the glory you have. (3)