अथर्ववेद (कांड 2)
इ॒यम॑ग्ने॒ नारी॒ पतिं॑ विदेष्ट॒ सोमो॒ हि राजा॑ सु॒भगां॑ कृ॒णोति॑ । सुवा॑ना पु॒त्रान्महि॑षी भवाति ग॒त्वा पतिं॑ सु॒भगा॒ वि रा॑जतु ॥ (३)
हमारी यह कन्या पति को प्राप्त करे, जिस से सोम राजा इसे सौभाग्यशालिनी बनाएं. विवाह के पश्चात यह पुत्रों को जन्म देती हुई श्रेष्ठ पत्नी सिद्ध हो. इस प्रकार यह पति को पा कर सौभाग्ययुक्त एवं सुशोभित हो. (३)
May this girl of ours get her husband, so that Som Raja makes her lucky. After marriage, she should prove to be the best wife giving birth to sons. In this way, she is fortunate and beautified to have a husband. (3)