हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 2.36.5

कांड 2 → सूक्त 36 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 2)

अथर्ववेद: | सूक्त: 36
भग॑स्य॒ नाव॒मा रो॑ह पू॒र्णामनु॑पदस्वतीम् । तयो॑प॒प्रता॑रय॒ यो व॒रः प्र॑तिका॒म्यः॑ ॥ (५)
हे कन्या! तू भाग्य के साधनों से पूर्ण एवं विनाशरहित नाव पर सवार हो. इस नाव के सहारे तू अपने मनचाहे पति को प्राप्त कर. (५)
O girl! You ride on a boat full of means of luck and without destruction. With the help of this boat, you get your desired husband. (5)