हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.107.9

कांड 20 → सूक्त 107 → मंत्र 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 107
नि तद्द॑धि॒षेऽव॑रे॒ परे॑ च॒ यस्मि॒न्नावि॒थाव॑सा दुरो॒णे । आ स्था॑पयत मा॒तरं॑ जिग॒त्नुमत॑ इन्वत॒ कर्व॑राणि॒ भूरि॑ ॥ (९)
हे इंद्र! जिस घर में अन्न के द्वारा मेरा पालन हुआ है, जिन श्रेष्ठ प्राणियों ने मुझे धारण किया है, उस घर में माता के द्वारा शक्ति की स्थापना हो. इस के बाद तुम उस घर में शोभन पदार्थो को लाओ. (९)
O Indra! In the house where I have been followed by food, the superior beings who have possessed Me, in that house, shakti should be established by the mother. After this, you bring beautiful things to that house. (9)