हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.118.3

कांड 20 → सूक्त 118 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 118
इन्द्र॒मिद्दे॒वता॑तय॒ इन्द्रं॑ प्रय॒त्यध्व॒रे । इन्द्रं॑ समी॒के व॒निनो॑ हवामह॒ इन्द्रं॒ धन॑स्य सा॒तये॑ ॥ (३)
हम इंद्र की सेवा करने वाले हैं. संग्राम उपस्थित होने पर हम धन प्राप्ति के लिए इंद्र को बुलाते हैं. (३)
We are going to serve Indra. When Sangram is present, we call Indra to get money. (3)