अथर्ववेद (कांड 20)
पु॒त्रमि॑व पि॒तरा॑व॒श्विनो॒भेन्द्रा॒वथुः॒ काव्यै॑र्दं॒सना॑भिः । यत्सु॒रामं॒ व्यपि॑बः॒ शची॑भिः॒ सर॑स्वती त्वा मघवन्नभिष्णक् ॥ (५)
हे इंद्र! तुम ने शोभा धारण करने वाला सोमरस पिया है. सरस्वती देवी अपनी विभूतियों से तुम्हें सींचे. (५)
O Indra! You have drunk the graceful Someras. May Saraswati Devi water you with her personalities. (5)