हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.128.4

कांड 20 → सूक्त 128 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 128
यश्च॑ प॒णि रघु॑जि॒ष्ठ्यो यश्च॑ दे॒वाँ अदा॑शुरिः । धीरा॑णां॒ शश्व॑ताम॒हं तद॑पा॒गिति॑ शुश्रुम ॥ (४)
जो वणिक्‌ देवताओं को हवि दान नहीं करता, वह शाश्वत वीरों का सेवक बनता है. ऐसा सुना जाता है. (४)
He who does not donate havi to the merchant gods becomes a servant of eternal heroes. It is heard. (4)