अथर्ववेद (कांड 20)
म॑हान॒ग्न्युलूखलमति॒क्राम॑न्त्यब्रवीत् । यथा॒ तव॑ वनस्पते॒ निर॑घ्नन्ति॒ तथै॑वेति ॥ (६)
महान अग्नि उलूखल को लांघते हुए कहने लगे-हे बृहस्पति! लोग जिस प्रकार तुझे कूटते हैं, वैसा होना चाहिए. (६)
Crossing the great agni, he said, "O Jupiter! It should be the way people beat you. (6)