हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.137.13

कांड 20 → सूक्त 137 → मंत्र 13 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 137
इन्द्रः॒ स दाम॑ने कृ॒त ओजि॑ष्ठः॒ स मदे॑ हि॒तः । द्यु॒म्नी श्लो॒की स सो॒म्यः ॥ (१३)
पापियों को वश में करने के लिए तुम ने शक्तिशाली का रस्सी के समान प्रयोग किया. वे प्रसन्नता देने वाले यज्ञ में प्रतिष्ठित होते हैं. वे इंद्र सभ्य, प्रसिद्ध और तेजस्वी हैं. (१३)
To subdue sinners, you used the powerful rope. They are revered in the joyous yagna. He is Indra decent, famous and stunning. (13)