अथर्ववेद (कांड 20)
यन्ना॑सत्या परा॒के अ॑र्वा॒के अस्ति॑ भेष॒जम् । तेन॑ नू॒नं वि॑म॒दाय॑ प्रचेतसा छ॒र्दिर्व॒त्साय॑ य॒च्छत॑म् ॥ (५)
हे अश्विनीकुमारो! दूर की अथवा समीप की ओषधि को अपने दंभी मन के द्वारा हमें विशेष शक्ति के लिए प्रदान करो तथा हमारे शिशु के लिए घर दो. (५)
O Ashwinikumaro! Give distant or near medicine to us with your conceited mind for special power and give a house for our baby. (5)