अथर्ववेद (कांड 20)
हि॒मेव॑ प॒र्णा मु॑षि॒ता वना॑नि॒ बृह॒स्पति॑नाकृपयद्व॒लो गाः । अ॑नानुकृ॒त्यम॑पु॒नश्च॑कार॒ यात्सूर्या॒मासा॑ मि॒थ उ॒च्चरा॑तः ॥ (१०)
जिस प्रकार हिमपात सारहीन पत्तों को ग्रहण करता है, उसी प्रकार बृहस्पति देव ने बल असुर के द्वारा चुराई गई गायों को प्राप्त किया. बल असुर ने भी गाएं बृहस्पति देव को प्रदान कीं. बृहस्पति द्वारा ही सूर्य दिन को और चंद्रमा रात्रि को प्रकट करता हुआ घूमता है. बृहस्पति देव का यह कर्म ऐसा है, जिसे कोई दूसरा नहीं कर सकता और उसे दुबारा नहीं किया जा सकता. (१०)
Just as snow absorbs the leafless, jupiter received the cows stolen by the forced asuras. Bal Asura also gave the songs to Jupiter. It is through Jupiter that the sun rotates in the day and the moon appears at night. This karma of Jupiter is such that no one else can do and it cannot be done again. (10)