हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.18.6

कांड 20 → सूक्त 18 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 18
त्वं वर्मा॑सि स॒प्रथः॑ पुरोयो॒धश्च॑ वृत्रहन् । त्वया॒ प्रति॑ ब्रुवे यु॒जा ॥ (६)
हे वृत्र का हनन करने वाले और सब से महान इंद्र! तुम आगे रह कर युद्ध करते हो. तुम मेरे कवच हो. मैं तुम्हारी सहायता से शत्रुओं को भयभीत करता हूं. (६)
O Indra, the destroyer of Vritra and the greatest! You stay ahead and fight. You are my armor. I frighten the enemies with your help. (6)