अथर्ववेद (कांड 20)
त्वमा॑विथ सु॒श्रव॑सं॒ तवो॒तिभि॒स्तव॒ त्राम॑भिरिन्द्र॒ तूर्व॑याणम् । त्वम॑स्मै॒ कुत्स॑मतिथि॒ग्वमा॒युं म॒हे राज्ञे॒ यूने॑ अरन्धनायः ॥ (१०)
हे इंद्र! तुम ने सहायक विहीन राजा सुश्रवा की अपने रक्षा साधनों से रक्षा की. तुम ने तूर्वयाण नाम के राजा का पालन किया. तुम ने युवराज बने हुए कुत्स, अतिथिग्व और आयु का आश्रय सुश्रवा को प्राप्त कराया. (१०)
O Indra! You protected the unaided king Sushrava with your protective means. You gave Sushrava the shelter of kuts, guests and age, who remained the crown prince. (10)