अथर्ववेद (कांड 20)
इन्द्र॑मि॒त्था गिरो॒ ममाच्छा॑गुरिषि॒ता इ॒तः । आ॒वृते॒ सोम॑पीतये ॥ (३)
हमारी स्तुति रूपी वाणियां इंद्र को हमारे यज्ञ में लाने के लिए उन के पास जाती हैं. (३)
Our praise speeches go to Indra to bring him to our yajna. (3)
कांड 20 → सूक्त 24 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation