हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.25.7

कांड 20 → सूक्त 25 → मंत्र 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 25
प्रोग्रां पी॒तिं वृष्ण॑ इयर्मि स॒त्यां प्र॒यै सु॒तस्य॑ हर्यश्व॒ तुभ्य॑म् । इन्द्र॒ धेना॑भिरि॒ह मा॑दयस्व धी॒भिर्विश्वा॑भिः॒ शच्या॑ गृणा॒नः ॥ (७)
हे इंद्र! तुम हरि नाम के अश्वो द्वारा श्रेष्ठ गमन करने वाले तथा कामनाओं के वर्षक हो. मैं तुम्हें सोमरस पीने को प्रेरित करता हूं. तुम स्तुतियां सुन कर हमारे यज्ञ में प्रसन्न बनो. (७)
O Indra! You are the one who makes the best movement through the horse named Hari and the year of desires. I encourage you to drink somers. Listen to the praises and be happy in our sacrifice. (7)