अथर्ववेद (कांड 20)
येने॒मा विश्वा॒ च्यव॑ना कृ॒तानि॒ यो दासं॒ वर्ण॒मध॑रं॒ गुहाकः॑ । श्व॒घ्नीव॒ यो जि॑गी॒वां ल॒क्षमाद॑द॒र्यः पु॒ष्टानि॒ स ज॑नास॒ इन्द्रः॑ ॥ (४)
हे असुरो! जिन्होंने दिखाई देते हुए लोकों को स्थिर किया, असुरों को गुफाओं में डाल दिया, प्रत्यक्ष शत्रुओं पर विजय प्राप्त की तथा जो शत्रु के धनों को छीन लेते हैं, वे ही इंद्र हैं. (४)
O Asuro! Those who stabilized the visible worlds, put the asuras in caves, conquered the direct enemies and those who take away the enemy's wealth are Indra. (4)