अथर्ववेद (कांड 20)
अ॒या ह॒ त्यं मा॒यया॑ वावृधा॒नं म॑नो॒जुवा॑ स्वतवः॒ पर्व॑तेन । अच्यु॑ता चिद्वीडि॒ता स्वो॑जो रु॒जो वि दृ॒ढा धृ॑ष॒ता वि॑रप्शिन् ॥ (६)
हे इंद्र! तुम्हारे वज्र का वेग मन के समान है. तुम ने अपनी माया से शक्तिशाली वृत्र का नाश किया है तथा ऐसे शत्रु नगरों को ध्वस्त किया, जिन्हें आज तक कोई नष्ट नहीं कर सका. (६)
O Indra! The velocity of your thunderbolt is the same as that of the mind. You have destroyed the mighty vritra with your love and destroyed enemy cities that no one has been able to destroy till date. (6)