हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.38.2

कांड 20 → सूक्त 38 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 38
आ त्वा॑ ब्रह्म॒युजा॒ हरी॒ वह॑तामिन्द्र के॒शिना॑ । उप॒ ब्रह्मा॑णि नः शृणु ॥ (२)
हे इंद्र! तुम्हारे घोड़े हमारे मंत्रोच्चारण के साथ ही तुम्हारे रथ में जुड़ जाते हैं. वे तुम्हें तुम्हारे मन चाहे स्थान पर ले जाते हैं. तुम्हारे वे घोड़े तुम्हें हमारे यज्ञ में लाएं, जिस से तुम हमारे आह्वान को सुन सको. (२)
O Indra! Your horses join your chariot with our chanting of mantras. They take you to the place you want. May those horses of yours bring you into our sacrifice, so that you may hear our call. (2)