हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.40.1

कांड 20 → सूक्त 40 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 40
इन्द्रे॑ण॒ सं हि दृक्ष॑से संजग्मा॒नो अबि॑भ्यु॒षा । म॒न्दू स॑मा॒नव॑र्चसा ॥ (१)
हे इंद्र! तुम मरुतों के साथ रहते हो और अपने उपासकों को अभय प्रदान करते हो. मरुतों के साथ रहते हुए तुम प्रसन्न होते हो. मरुतों का और तुम्हारा तेज समान है. (१)
O Indra! You live with the Maruts and give abhaya to your worshippers. You are happy to be with the Maruts. The glory of the maruts and yours are the same. (1)