हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.57.2

कांड 20 → सूक्त 57 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 57
उप॑ नः॒ सव॒ना ग॑हि॒ सोम॑स्य सोमपाः पिब । गो॒दा इद्रे॒वतो॒ मदः॑ ॥ (२)
सदा हर्षित रहने वाले एवं धनवान इंद्र गाएं प्रदान करने वाले हैं. हे इंद्र हमारे सोमयाग में आ कर तुम सोमरस का पान करो. (२)
The ever-happy and wealthy Indra is the one who provides cows. O Indra, come to our Somayag and drink Someras. (2)