अथर्ववेद (कांड 20)
उप॑ नः॒ सव॒ना ग॑हि॒ सोम॑स्य सोमपाः पिब । गो॒दा इद्रे॒वतो॒ मदः॑ ॥ (२)
सदा हर्षित रहने वाले एवं धनवान इंद्र गाएं प्रदान करने वाले हैं. हे इंद्र हमारे सोमयाग में आ कर तुम सोमरस का पान करो. (२)
The ever-happy and wealthy Indra is the one who provides cows. O Indra, come to our Somayag and drink Someras. (2)