हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.61.1

कांड 20 → सूक्त 61 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 61
तं ते॒ मदं॑ गृणीमसि॒ वृष॑णं पृ॒त्सु सा॑स॒हिम् । उ॑ लोककृ॒त्नुम॑द्रिवो हरि॒श्रिय॑म् ॥ (१)
हे वज्रधारी, शत्रुओं को पराजित करने वाले, अश्वों की शोभा से युक्त एवं मनचाहे पदार्थों के वर्षक इंद्र! हम तुम्हारे हवि की पूजा करते हैं. (१)
O Vajradhari, the destroyer of enemies, adorned with horses and the year of desired substances, Indra! We worship your havi. (1)