अथर्ववेद (कांड 20)
यस्य॑ द्वि॒बर्ह॑सो बृ॒हत्सहो॑ दा॒धार॒ रोद॑सी । गि॒रीँरज्राँ॑ अ॒पः स्वर्वृषत्व॒ना ॥ (५)
जिन इंद्र के आश्रय के कारण स्वर्ग और पृथ्वी महान बल, जल, पर्वत और वज्र को धारण करते हैं, उन्हीं इंद्र की तुम पूजा करो. (५)
You should worship Indra, due to whose shelter heaven and earth wear great force, water, mountains and thunderbolts. (5)