अथर्ववेद (कांड 20)
समि॑न्द्र गर्द॒भं मृ॑ण नु॒वन्तं॑ पा॒पया॑मु॒या । आ तू न॑ इन्द्र शंसय॒ गोष्वश्वे॑षु शु॒भ्रिषु॑ स॒हस्रे॑षु तुवीमघ ॥ (५)
हे इंद्र! तुम पाप वृत्ति वाले राक्षसों का वध कर दो. तुम हमारी गायों आदि को दूसरों का नाश करने की शक्ति प्रदान करो. (५)
O Indra! You kill the demons with sinful instincts. You give our cows etc. the power to destroy others. (5)