हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 20.89.11

कांड 20 → सूक्त 89 → मंत्र 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 20)

अथर्ववेद: | सूक्त: 89
बृह॒स्पति॑र्नः॒ परि॑ पातु प॒श्चादु॒तोत्त॑रस्मा॒दध॑रादघा॒योः । इन्द्रः॑ पु॒रस्ता॑दु॒त म॑ध्य॒तो नः॒ सखा॒ सखि॑भ्यो॒ वरी॑यः कृणोतु ॥ (११)
जो शत्रु हमारे वध रूप पाप की इच्छा करता है, बृहस्पति देवता उस से चारों दिशाओं में हमारी रक्षा करें. वे हमें हमारे अन्न की अपेक्षा उत्कृष्ट बनाएं. (११)
The enemy who desires sin in our slaughter form, Jupiter god should protect us in all four directions from him. Let them make us better than our food. (11)