अथर्ववेद (कांड 20)
ग्री॒वाभ्य॑स्त उ॒ष्णिहा॑भ्यः॒ कीक॑साभ्यो अनू॒क्यात् । यक्ष्मं॑ दोष॒ण्यमंसा॑भ्यां बा॒हुभ्यां॒ वि वृ॑हामि ते ॥ (१८)
मैं तेरी अस्थियों से, नाड़ियों से, कंधों और भुजाओं में यक्ष्मा रोग को नष्ट करता हूं. (१८)
I destroy tuberculosis from your bones, with your veins, in the shoulders and arms. (18)