हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 3.19.5

कांड 3 → सूक्त 19 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 3)

अथर्ववेद: | सूक्त: 19
ए॒षाम॒हमायु॑धा॒ सं स्या॑म्ये॒षां रा॒ष्ट्रं सु॒वीरं॑ वर्धयामि । ए॒षां क्ष॒त्रम॒जर॑मस्तु जि॒ष्ण्वे॒षां चि॒त्तं विश्वे॑ऽवन्तु दे॒वाः ॥ (५)
मैं अपने राजाओं के आयुधों को तेज धार वाला बनाता हूं तथा इन के राज्य को शोभन वीरों से युक्त करता हूं. इन का शारीरिक बल, बुढ़ापे से रहित तथा शत्रुओं को जीतने वाला हो. इन के युद्धोन्मुख मन की सभी देव रक्षा करे. (५)
I make the weapons of my kings sharp-edged and adorn their kingdom with adorned heroes. Their physical strength should be devoid of old age and conquering enemies. May all gods protect their war-oriented minds. (5)