अथर्ववेद (कांड 3)
ये पर्व॑ताः॒ सोम॑पृष्ठा॒ आप॑ उत्तान॒शीव॑रीः । वातः॑ प॒र्जन्य॒ आद॒ग्निस्ते क्र॒व्याद॑मशीशमन् ॥ (१०)
सोमलता जिन के ऊपर वर्तमान है, ऐसे मुंजवान आदि पर्वत के ऊपर शयन करने वाले जल, वायु और बादलों ने मांसभक्षक अग्नि को शांत कर दिया है. (१०)
The water, air and clouds sleeping on the mount of Munjwan etc. on which Somlata is present have calmed the carnivorous agni. (10)