हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 3.28.6

कांड 3 → सूक्त 28 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 3)

अथर्ववेद: | सूक्त: 28
यत्रा॑ सु॒हार्दां॑ सु॒कृता॑मग्निहोत्र॒हुतां॒ यत्र॑ लो॒कः । तं लो॒कं य॒मिन्य॑भि॒संब॑भूव॒ सा नो॒ मा हिं॑सी॒त्पुरु॑षान्प॒शूंश्च॑ ॥ (६)
जिस लोक में शोभन हृदय, शोभन ज्ञान और शोभन कर्म वाले अपने शरीर से ज्वर आदि रोगों का त्याग कर के प्रसन्न होते हैं, वहां जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली गाय आ गई है. वह हमारे पुरुषों और पशुओं की हिंसा न करे. (६)
In the world where shobhan heart, shobhan gyan and shobhan karma people are happy by sacrificing diseases like fever etc. from their body, the cow giving birth to twins has come. He should not do violence to our men and animals. (6)