अथर्ववेद (कांड 4)
शृ॒तम॒जं शृ॒तया॒ प्रोर्णु॑हि त्व॒चा सर्वै॒रङ्गैः॒ संभृ॑तं वि॒श्वरू॑पम् । स उत्ति॑ष्ठे॒तो अ॑भि॒ नाक॑मुत्त॒मं प॒द्भिश्च॒तुर्भिः॒ प्रति॑ तिष्ठ दि॒क्षु ॥ (९)
अपने सभी अंगों से पूर्ण बने बकरे को सभी दिशाओं में व्याप्त करो. हे बकरे! तुम इस लीक से चारों पैरों के द्वारा स्वर्गलोक में चढ़ते हुए चारों दिशाओं को व्याप्त करो. (९)
Spread the goat made of all your organs in all directions. O goat! You may ascend to heaven with all four legs from this leak and pervade the four directions. (9)