अथर्ववेद (कांड 4)
श॒तेन॒ पाशै॑र॒भि धे॑हि वरुणैनं॒ मा ते॑ मोच्यनृत॒वाङ्नृ॑चक्षः । आस्तां॑ जा॒ल्म उ॒दरं॑ श्रंसयि॒त्वा कोश॑ इवाब॒न्धः प॑रिकृ॒त्यमा॑नः ॥ (७)
हे वरुण! अपने सौ पाशों से इस असत्यवादी को बांधो. हे मनुष्यों के भलेबुरे कर्मो को देखने वाले! असत्य बोलने वाला तुम से छूटने न पाए. बिना विचारे काम करने वाला अपने उदर को जलोदर रोग से दूषित पा कर तलवार की म्यान के समान झूलता रहे. (७)
O Varuna! Bind this untruthful with your hundred loops. O one who sees the good deeds of men! The one who speaks untruth should not be spared from you. Those who work without thinking, find their abdomen contaminated with ascites disease and keep swinging like a sword sheath. (7)