हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 4.7.3

कांड 4 → सूक्त 7 → मंत्र 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 4)

अथर्ववेद: | सूक्त: 7
क॑र॒म्भं कृ॒त्वा ति॒र्यं॑ पीबस्पा॒कमु॑दार॒थिम् । क्षु॒धा किल॑ त्वा दुष्टनो जक्षि॒वान्त्स न रू॑रुपः ॥ (३)
हे दुष्ट शरीर वाले विष! बिना जाने हुए खाया हुआ तू चरबी को जलाने वाला और उदर संबंधी रोगों का जनक है. इस पुरुष ने तुझे करंभ (भात) समझ कर खाया था. तू इस पुरुष को मूर्च्छित मत बना. (३)
O poison of evil flesh! You are a fat burner and the father of abdominal diseases. This man ate you as karambh (rice). Don't make this man faint. (3)