हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 5.14.4

कांड 5 → सूक्त 14 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 14
पुनः॑ कृ॒त्यां कृ॑त्या॒कृते॑ हस्त॒गृह्य॒ परा॑ णय । स॑म॒क्षम॑स्मा॒ आ धे॑हि॒ यथा॑ कृत्या॒कृतं॒ हन॑त् ॥ (४)
हे ओषधि! तुम कृत्या का हाथ पकड़ कर उन के समीप ले जाओ, जिन्होंने इस का निर्माण किया है. उन के समीप पहुंची हुई कृत्या उन का विनाश कर देगी. (४)
O medicine! Take krita's hand and take it closer to those who built it. The act that has reached them will destroy them. (4)