हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
उ॒च्चैर्घो॑षो दुन्दु॒भिः स॑त्वना॒यन्वा॑नस्प॒त्यः संभृ॑त उ॒स्रिया॑भिः । वाचं॑ क्षुणुवा॒नो द॒मय॑न्त्स॒पत्ना॑न्त्सिं॒ह इ॑व जे॒ष्यन्न॒भि तं॑स्तनीहि ॥ (१)
हे दुंदुभि! तू वनस्पतियों से बनाई गई है तथा उच्च स्वर करती है. तू शक्तिशाली जनों के समान आचरण कर तथा उच्च घोष से शत्रुओं का मान मर्दन कर. (१)
O dundubi! You are made from vegetation and tone high. You behave like powerful people and honor the enemies with a loud voice. (1)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
सिं॒ह इ॑वास्तानीद्द्रु॒वयो॒ विब॑द्धोऽभि॒क्रन्द॑न्नृष॒भो वा॑सि॒तामि॑व । वृषा॒ त्वं वध्र॑यस्ते स॒पत्ना॑ ऐ॒न्द्रस्ते॒ शुष्मो॑ अभिमातिषा॒हः ॥ (२)
हे दुदुंभि! तू सिंह के समान गर्जन कर. हे वृक्ष के समान अधिक आयु वाली दुदुंभी! तू गाय को देख कर रंभाने वाले बैल के समान शब्द करती है. विशेष रूप से बंधी हुई तू वीर्य वर्षा करने वाली है, इस कारण तेरे शत्रु शक्ति रहित हो जाते हैं. तेरा बल इंद्र के समान है, इसलिए उसे वीर्य ही सहन कर पाता है. (२)
O milk! Roar like a lion. O bride with a long life like a tree! You look at the cow and say words like a bull that rams. Especially tied, you are going to rain semen, because of this your enemies become powerless. Your strength is like Indra, so only semen can bear it. (2)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
वृषे॑व यू॒थे सह॑सा विदा॒नो ग॒व्यन्न॒भि रु॑व संधनाजित् । शु॒चा वि॑ध्य॒ हृद॑यं॒ परे॑षां हि॒त्वा ग्रामा॒न्प्रच्यु॑ता यन्तु॒ शत्र॑वः ॥ (३)
जिस प्रकार गाय की कामना करने वाला बैल अपने शब्द के कारण झुंड में भी पहचान लिया जाता है, उसी प्रकार हे दुदुंभी! शत्रुओं को जीतने की इच्छा से शब्द कर के उन के हृदयों में संताप भर दे. वे शत्रु हमारे गांवों को छोड़ कर चले जाएं. (३)
Just as a bull wishing for a cow is also recognized in the herd because of its word, so O Dudumbhi! By saying words with the desire to conquer the enemies, fill their hearts with anger. Those enemies should leave our villages. (3)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
सं॒जय॒न्पृत॑ना ऊ॒र्ध्वमा॑यु॒र्गृह्या॑ गृह्णा॒नो ब॑हु॒धा वि च॑क्ष्व । दैवीं॒ वाचं॑ दुन्दुभ॒ आ गु॑रस्व वे॒धाः शत्रू॑णा॒मुप॑ भरस्व॒ वेदः॑ ॥ (४)
हे दुदुंभि! तू उच्च शब्द करती हुई शत्रु सेनाओं को जीत लेती है. तू उन्हें पकड़ कर युद्ध में विजय प्राप्त करती है. तू दैवी वाणी का उच्चारण कर और शत्रुओं का धन मुझे प्राप्त करा. (४)
O milk! You win the enemy armies by saying high words. You capture them and win the war. You should utter the divine voice and give me the wealth of enemies. (4)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
दु॑न्दु॒भेर्वाचं॒ प्रय॑तां॒ वद॑न्तीमाशृण्व॒ती ना॑थि॒ता घोष॑बुद्धा । नारी॑ पु॒त्रं धा॑वतु हस्त॒गृह्या॑मि॒त्री भी॒ता स॑म॒रे व॒धाना॑म् ॥ (५)
दुदुंभि की घोर गर्जना से शत्रुओं की नारियां होश में आ जाती हैं. वे युद्ध में मारे गए शत्रुओं को देख कर भयभीत होती हैं और अपने पुत्र का हाथ पकड़ कर भाग जाती हैं. (५)
The women of the enemies come to their senses due to the severe roar of Dudunbi. They are frightened to see the enemies killed in the war and run away holding their son's hand. (5)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
पूर्वो॑ दुन्दुभे॒ प्र व॑दासि॒ वाचं॒ भूम्याः॑ पृ॒ष्ठे व॑द॒ रोच॑मानः । अ॑मित्रसे॒नाम॑भि॒जञ्ज॑भानो द्यु॒मद्व॑द दुन्दुभे सू॒नृता॑वत् ॥ (६)
हे दुदुंभि! तेरी ध्वनि सब से पहले निकलती है, इसलिए तू शत्रु सेना का विनाश कर तथा पृथ्वी के ऊपर सत्य वचनों का प्रचार कर. (६)
O milk! Your voice comes first, so destroy the enemy army and preach the true words on the earth. (6)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
अ॑न्त॒रेमे नभ॑सी॒ घोषो॑ अस्तु॒ पृथ॑क्ते ध्व॒नयो॑ यन्तु॒ शीभ॑म् । अ॒भि क्र॑न्द स्त॒नयो॒त्पिपा॑नः श्लोक॒कृन्मि॑त्र॒तूर्या॑य स्व॒र्धी ॥ (७)
हे दुदुंभि! धरती और आकाश के मध्य तेरी ध्वनियां अनेक रूपों में व्याप्त हों तथा शोभन प्रतीत हों. तू उच्च शब्द से समृद्ध हो तथा मित्रों में वेग व्याप्त करने के लिए उच्च स्वर से गर्जन कर. (७)
O milk! May your sounds pervade in many forms between the earth and the sky and appear to be pleasant. You should be rich in the high word and roar with a high voice to increase the velocity among the friends. (7)

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 20
धी॒भिः कृ॒तः प्र व॑दाति॒ वाच॒मुद्ध॑र्षय॒ सत्व॑ना॒मायु॑धानि । इन्द्र॑मेदी॒ सत्व॑नो॒ नि ह्व॑यस्व मि॒त्रैर॒मित्राँ॒ अव॑ जङ्घनीहि ॥ (८)
हे दुदुंभि! कुशलतापूर्वक बजाने पर तू मोहक शब्द निकालती है. शक्तिशाली मनुष्यों के आयुधों को ऊंचा कर के तू उन्हें प्रसन्न बना. तू वीरों का आह्वान करती हुई हमारे मित्रों द्वारा हमारे शत्रुओं का विनाश करा, क्योंकि तू इंद्र की प्रिया है. (८)
O milk! When played efficiently, you remove seductive words. You make them happy by raising the arms of powerful men. You invoke the heroes and destroy our enemies through our friends, because you are the beloved of Indra. (8)
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