हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 5.21.11

कांड 5 → सूक्त 21 → मंत्र 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 21
यू॒यमु॒ग्रा म॑रुतः पृश्निमातर॒ इन्द्रे॑ण यु॒जा प्र मृ॑णीत॒ शत्रू॑न् । सोमो॒ राजा॒ वरु॑णो॒ राजा॑ महादे॒व उ॒त मृ॒त्युरिन्द्रः॑ ॥ (११)
हे मरुतो! तुम उग्र कर्म करने वाले हो. तुम इंद्र के साथ मिल कर शत्रुओं का मर्दन करो. सोम राजा, वरुण राजा, महादेव और मृत्युदेव इंद्र का सहयोग करें. (११)
O Maruto! You are going to do furious deeds. You should kill enemies together with Indra. Support Som Raja, Varuna Raja, Mahadev and Mrityudev Indra. (11)