हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 5.23.4

कांड 5 → सूक्त 23 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 23
सरू॑पौ॒ द्वौ विरू॑पौ॒ द्वौ कृ॒ष्णौ द्वौ रोहि॑तौ॒ द्वौ । ब॒भ्रुश्च॑ ब॒भ्रुक॑र्णश्च॒ गृध्रः॒ कोक॑श्च॒ ते ह॒ताः ॥ (४)
दो समान रूप वाले, दो भिन्न रूप वाले, दो काले, दो लाल रंग के, एक खाकी रंग वाला, एक खाकी रंग के कान वाला, एक गिद्ध और कोक-हम इन सभी कृमियों को मंत्र की शक्ति से नष्ट करते हैं. (४)
Two identical, two different forms, two black, two red, one khaki-colored, one khaki-eared, one vulture and coke — we destroy all these worms with the power of mantras. (4)