हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 5.24.2

कांड 5 → सूक्त 24 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 24
अ॒ग्निर्वन॒स्पती॑ना॒मधि॑पतिः॒ स मा॑वतु । अ॒स्मिन्ब्रह्म॑ण्य॒स्मिन्कर्म॑ण्य॒स्यां पु॑रो॒धाया॑म॒स्यां प्र॑ति॒ष्ठाया॑म॒स्यां चित्त्या॑म॒स्यामाकू॑त्याम॒स्यामा॒शिष्य॒स्यां दे॒वहू॑त्यां॒ स्वाहा॑ ॥ (२)
अग्नि वनस्पतियों के अधिपति हैं. वह इस वेदोक्त पौरोहित्य कर्म में, प्रतिष्ठा में, संकल्प में, देवाहूवान कर्म में तथा आशीर्वाद रूप कर्म में मेरी रक्षा करें. (२)
Agni is the overswami of flora. May he protect me in this Vedokta Paurohita karma, in prestige, in resolve, in God's deeds and in the form of blessings. (2)