अथर्ववेद (कांड 5)
त्रयः॑ सुप॒र्णास्त्रि॒वृता॒ यदाय॑न्नेकाक्ष॒रम॑भिसं॒भूय॑ श॒क्राः । प्रत्यौ॑हन्मृ॒त्युम॒मृते॑न सा॒कम॑न्त॒र्दधा॑ना दुरि॒तानि॒ विश्वा॑ ॥ (८)
त्रिवृत्त रूप से तीन समर्थ स्वर्ण एक अक्षर पर आकर शक्तिशाली बनते हैं. वे सभी पापों को नष्ट कर के अमृत के द्वारा तेरी मृत्यु को समाप्त करें. (८)
In a tricircular form, three capable golds come on one letter and become powerful. Let them destroy all sins and end your death through nectar. (8)