हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 5.30.15

कांड 5 → सूक्त 30 → मंत्र 15 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 30
मा ते॑ प्रा॒ण उप॑ दस॒न्मो अ॑पा॒नोऽपि॑ धायि ते । सूर्य॒स्त्वाधि॑पतिर्मृ॒त्योरु॒दाय॑च्छतु र॒श्मिभिः॑ ॥ (१५)
हे रोगी! तेरे प्राणों का क्षय न हो तथा तेरी अपान वायु भी तेरा त्याग न करे. सूर्य अपनी किरणों द्वारा मृत्यु शय्या पर पड़े हुए तुझे उस से उठा दें. (१५)
O patient! Let your life not decay and your own air should not forsake you. May the sun lift you from it while lying on the death bed with its rays. (15)