हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 5.31.6

कांड 5 → सूक्त 31 → मंत्र 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 5)

अथर्ववेद: | सूक्त: 31
यां ते॑ च॒क्रुः स॒भायां॒ यां च॒क्रुर॑धि॒देव॑ने । अ॒क्षेषु॑ कृ॒त्यां यां च॒क्रुः पुनः॒ प्रति॑ हरामि॒ ताम् ॥ (६)
हे कृत्या! अभिचार करने वाले ने तुझे सभा में अथवा जुआ खेलने के पासों में स्थित किया है. हम तुझे उसी की ओर लौटाते हैं, जिस ने अभिचार कर के तुझे भेजा है. (६)
O act! The one who practiced has located you in the meeting or in the nearest of gambling. We return you to him who sent you. (6)