हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 6.12.2

कांड 6 → सूक्त 12 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 12
यद्ब्र॒ह्मभि॒र्यदृषि॑भि॒र्यद्दे॒वैर्वि॑दि॒तं पु॒रा । यद्भू॒तं भव्य॑मास॒न्वत्तेना॑ ते वारये वि॒षम् ॥ (२)
जिस ओषधि को प्राचीन काल में मंत्रों ने, अगस्त्य, वसिष्ठ आदि ऋषिओं तथा इंद्र आदि देवों ने जाना है, उन भूत, वर्तमान और भविष्यकाल की ओषधियों से मैं तेरे शरीर में स्थित विष का निवारण करता हूं. (२)
The medicine which has been known in ancient times by mantras, sages like Agastya, Vasishtha etc. and gods like Indra, I remove the poison in your body with those past, present and future medicines. (2)