हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 6.128.2

कांड 6 → सूक्त 128 → मंत्र 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 128
भ॑द्रा॒हं नो॑ म॒ध्यन्दि॑ने भद्रा॒हं सा॒यम॑स्तु नः । भ॑द्रा॒हं नो॒ अह्नां॑ प्रा॒ता रात्री॑ भद्रा॒हम॑स्तु नः ॥ (२)
हमारे लिए दोपहर और सायंकाल पुण्यकारक हों. इस के अतिरिक्त प्रातःकाल और पूरी रात्रि भी हमारे लिए शुभ हो. (२)
May the afternoon and evening be virtuous for us. Apart from this, the morning and the whole night should also be auspicious for us. (2)