हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 6.130.4

कांड 6 → सूक्त 130 → मंत्र 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 130
उन्मा॑दयत मरुत॒ उद॑न्तरिक्ष मादय । अग्न॒ उन्मा॑दया॒ त्वम॒सौ मामनु॑ शोचतु ॥ (४)
हे मरुदगण! इस स्त्री को मतवाली बनाओ. हे आकाश! तुम भी इसे मतवाली बना कर मेरे वश में करो. हे अग्नि देव! तुम इसे मतवाली बनाओ, जिस से यह अपनेआप को भूल कर मेरा चिंतन करे. (४)
O Marudagan! Make this woman drunk. O sky! You also make it drunk and subdue me. O God of Agni! You make it matwali, so that it forgets itself and thinks of me. (4)