हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 6.138.5

कांड 6 → सूक्त 138 → मंत्र 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 138
यथा॑ न॒डं क॒शिपु॑ने॒ स्त्रियो॑ भि॒न्दन्त्यश्म॑ना । ए॒वा भि॑नद्मि ते॒ शेपो॒ऽमुष्या॒ अधि॑ मु॒ष्कयोः॑ ॥ (५)
हे अतिशय वीर्यवर्धक जड़ीबूटी! नेवला जिस प्रकार सांप के टुकड़े कर के पुनः उन्हें जोड़ता है, उसी प्रकार स्त्री के विमुख होने के कारण जो मुझ में कामविकार आ गया है उसे दूर कर के मुझे मेरी पत्नी से पुनः मिला दें. (५)
O very semen-boosting herb! Just as the mongoose cuts the snake into pieces and reconnects them, in the same way, remove the work that has come in me due to the alienation of the woman and reunite me with my wife. (5)