हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 17
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही भू॒तानां॒ गर्भ॑माद॒धे । ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥ (१)
हे नारी! जिस प्रकार विशाल पृथ्वी प्राणियों के शरीर को धारण करती है, उसी प्रकार तेरा गर्भ भी प्रसव के समय जन्म लेने के लिए स्थित रहे. (१)
O woman! Just as the vast earth holds the body of creatures, so your womb should also be located to be born at the time of delivery. (1)

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 17
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही दा॒धारे॒मान्वन॒स्पती॑न् । ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥ (२)
यह विशाल पृथ्वी जिस प्रकार वृक्षों को धारण करती है, उसी प्रकार तेरा गर्भ भी प्रसव के समय जन्म लेने के हेतु स्थित रहे. (२)
Just as this vast earth holds trees, so your womb should also be located to be born at the time of delivery. (2)

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 17
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही दा॒धार॒ पर्व॑तान्गि॒रीन् । ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥ (३)
हे नारी! जिस प्रकार यह विशाल पृथ्वी पर्वतों को धारण करती है, उसी प्रकार तेरा गर्भ भी प्रसव के समय जन्म लेने के लिए स्थित रहे. (३)
O woman! Just as this vast earth holds mountains, so your womb should also be located to be born at the time of delivery. (3)

अथर्ववेद (कांड 6)

अथर्ववेद: | सूक्त: 17
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही दा॒धार॒ विष्ठि॑तं॒ जग॑त् । ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥ (४)
हे नारी! यह विशाल पृथ्वी जिस प्रकार चराचर जगत्‌ को धारण करती है. उसी प्रकार तेरा गर्भ भी प्रसव के समय जन्म लेने के लिए स्थित रहे. (४)
O woman! The way this huge earth holds the grazing world. In the same way, your womb should also be located to be born at the time of delivery. (4)