अथर्ववेद (कांड 6)
त्वमि॑न्द्राधिरा॒जः श्र॑व॒स्युस्त्वं भू॑र॒भिभू॑ति॒र्जना॑नाम् । त्वं दैवी॑र्विश इ॒मा वि रा॒जायु॑ष्मत्क्ष॒त्रम॒जरं॑ ते अस्तु ॥ (२)
हे इंद्र! तुम राजाओं के राजा एवं यशस्वी हो. तुम अपने तेज से सभी प्राणियों को पराजित करते हो. ये देव संबंधिनी प्रजाएं तुम्हें शोभा देती है. हे राजन्! तुम्हारा बल चिरकाल तक जीवन से युक्त एवं वृद्धावस्था से विहीन हो. (२)
O Indra! You are the king of kings and the successful. You defeat all beings with your glory. These dev-related subjects adorn you. O king! May your strength be full of life forever and devoid of old age. (2)