हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 7.17.1

कांड 7 → सूक्त 17 → मंत्र 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 7)

अथर्ववेद: | सूक्त: 17
बृह॑स्पते॒ सवि॑तर्व॒र्धयै॑नं ज्यो॒तयै॑नं मह॒ते सौभ॑गाय । संशि॑तं चित्संत॒रं सं शि॑शाधि॒ विश्व॑ एन॒मनु॑ मदन्तु दे॒वाः ॥ (१)
हे बृहस्पति एवं हे सविता देव! सूर्योदय तक सोने वाले इस ब्रह्मचारी और यजमान को बढ़ाओ. इस यजमान और ब्रह्मचारी को महान सौभाग्य के लिए प्रकाशित करो. व्रत धारण करने वाले इस को भलीभांति कुशल बनाओ. सभी देव इस यजमान का अनुमोदन करें. (१)
O Jupiter and O Savita Dev! Increase this celibate and host who sleeps till sunrise. Illuminate this host and celibate to great good fortune. Those who observe fast should make it well efficient. May all gods approve of this host. (1)