हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद (कांड 7)

अथर्ववेद: | सूक्त: 38
अ॒भि त्वा॒ मनु॑जातेन॒ दधा॑मि॒ मम॒ वास॑सा । यथाऽसो॒ मम॒ केव॑लो॒ नान्यासां॑ की॒र्तया॑श्च॒न ॥ (१)
स्त्री अपने पति से कहती है—हे पति! मैं तुम को अपने मंत्र से युक्त वस्त्र से बांधती हूं. इस प्रकार तुम केवल मेरे ही हो सकोगे तथा दूसरी नारियों का नाम भी नहीं लोगे. (१)
The woman says to her husband, "O husband! I tie you with a cloth containing my mantra. In this way you will only be mine and will not even name other women. (1)