हरि ॐ

अथर्ववेद (Atharvaved)

अथर्ववेद 8.2.20

कांड 8 → सूक्त 2 → मंत्र 20 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

अथर्ववेद (कांड 8)

अथर्ववेद: | सूक्त: 2
अह्ने॑ च त्वा॒ रात्र॑ये चो॒भाभ्यां॒ परि॑ दद्मसि । अ॒राये॑भ्यो जिघ॒त्सुभ्य॑ इ॒मं मे॒ परि॑ रक्षत ॥ (२०)
हे कुमार! मैं रक्षा के निमित्त तुझे दिन और रात अर्थात्‌ दोनों के देवताओं के लिए देता हूं. हे देवताओ! तुम निर्धन के पास से तथा खाने वाले राक्षसों के पास से इस बालक की रक्षा करना. (२०)
O Kumar! I give you for the sake of protection, that is, for the gods of both day and night. O gods! You must protect this child from the poor and from the demons who eat. (20)